१३९ ॥ श्री खझट्टी पीर जी ॥
शेर:-
है कहन सुनन से न्यारा, मिलता मुरशिद के द्वारा ।
क्या आपै खेल पसारा फिर आपै करत नजारा ॥१॥
कोइ देखै देखन हारा है सब में सब से न्यारा ।
जब सुन्दरि सूरति सँवारा तब हुआ खुदा का प्यारा ॥२॥
शेर:-
है कहन सुनन से न्यारा, मिलता मुरशिद के द्वारा ।
क्या आपै खेल पसारा फिर आपै करत नजारा ॥१॥
कोइ देखै देखन हारा है सब में सब से न्यारा ।
जब सुन्दरि सूरति सँवारा तब हुआ खुदा का प्यारा ॥२॥