१४० ॥ श्री वरुण जी ॥
दोहा:-
राम नाम के जपे से जाय पाप सब छूटि ।
मानुष का तन पाइके राम नाम ले लूटि ॥१॥
गुरु बिन यह पद ना मिलै भटकत नैना फूटि ।
शब्द खुला आवन छुटा नैनन नैना जूटि ॥२॥
दोहा:-
राम नाम के जपे से जाय पाप सब छूटि ।
मानुष का तन पाइके राम नाम ले लूटि ॥१॥
गुरु बिन यह पद ना मिलै भटकत नैना फूटि ।
शब्द खुला आवन छुटा नैनन नैना जूटि ॥२॥