२ ॥ श्री १०८ परमहंस राम मंगल दास जी महाराज ॥
(श्री गोकुल भवन, वशिष्ठ कुण्ड, अयोध्या जी)
दोहा:-
श्री शारद गणपति चरण, बार बार शिर नाय।
कृपा कीजिये दास पर, आकर होहु सहाय॥
श्री गुरु महाराज को, ध्यान हृदय में धारि।
चरण कमल की रेणुका, लीन्हीं नैनन डारि॥
चरणोदक मैं आपका, रोज करत हौं पान।
कृपा कीजिये दीन पर, दास आपनो जान॥
भक्त जनन का चरित यह पढ़ै सुनै जो कोय।
निश्चय पावै भक्ति पद, आतम अनुभव होय॥
पहिले तो श्री व्यास जी, जगत हेतु भे आय।
ब्रह्म सूत्र उपनिषद अरु, गीता लिखी बनाय।५।
पढ़ै सुनै जो ग्रन्थ ये, छूटै यम की त्रास।
आवागमन न होय फिर, रहै सदा हरि पास॥
तब फिर स्वामी बुध्द जी, भये धर्म के हेतु।
जीवन पर रक्षा करी, बाँधि गये ढृढ़ सेतु॥
तब फिर शंकराचार्य्य जी, निर्गुन ज्ञान बताय।
जहँ देखौ तहँ ब्रह्म है, सब से कहैं सुनाय॥
तब फिर रामानुज भये, लखन लाल को अंश।
भक्ति में प्रीति दृढ़ाय के, कीन्हों दुःख विध्वंश॥
तब फिर रामानन्द जी, भये विष्णु अवतार।
जिनकी कृपा कटाक्ष ते, भव सागर हो पार।१०।
द्वादश चेला संग में, रहे सिध्द भरपूर।
जाकी जैसी भावना, ताकी तैसेहि पूर॥
तब फिर गोरख जी भये, गोरखपुर में आय।
जिनके चेला भरथरी, आजहुँ परत दिखाय॥
तब फिर गुरु नानक भये, अंश जनक को आय।
दुखी जनन को दुःख हरि, दीन्हों सुक्ख अघाय॥
ओंकार की जाप को, दीन्हों जिन्हें बताय।
अर्थ धर्म्म अरु काम फिर, गये मोक्ष को पाय॥
तब फिर श्री गौराङ्ग भे, सुन्दर रूप अनूप।
प्रेम की मूरति आप हैं, वरनि सकै को रूप।१५।
भक्ति योग वैराग अरु, ज्ञान ध्यान नित नेम।
सब में आगे चलत है, केवल आप क प्रेम॥
रामकृष्ण परमहंस को, तिरवेणी तट जाय।
अभ्यन्तर की धुनी का, दीन्हों भेद बताय॥
छिन छिन में लय होत है, दिन पर दिन अधिकाय।
सूरज मण्डल सामने, रूप अनूप दिखाय॥
काली माता करि कृपा, दीन्हों भक्ति दृढ़ाय।
जनम मरन से छूटिहौ, सुनौ पुत्र हर्षाय॥
तब फिर तुलसी दास जी, बाल्मीकि भे आय।
रामायण श्री राम तन, दीन्हों जगत चलाय।२०।
पढ़ै सुनै जो ग्रन्थ यह, ह्वै करिके निष्काम।
सत्य वचन संशय नहीं, जावै हरि के धाम॥
राम नाम के जपे ते, छूटि जात सब पाप।
जहँ देखो तहँ रमि रहे, सब में आपुइ आप॥
पवन तनय के अंश भे, राम दास महाराज।
दुखी जनन को दुख हरो, कीन्हों बहुतै काज॥
शीवा जी को शिष्य करि, दीन्हों बली बनाय।
जिनके आगे युध्द में, कोई नहिं ठहराय॥
सूर दास ऊधो भये, तुलसी दास के साथ।
तन मन हरि रँग में रँगे, एकतारा लिये हाथ।२५।
जारी........