२७ ॥ श्री श्यामा जी ॥
जारी........
ताकैं छिपैं ओट खम्भन के नैन मूंदि मुसक्याय।
प्रेम कि प्रीति की रीति अगम यह सुधि बुधि जात हेराय।
श्यामा कहैं अवध वासी धनि दरशन करत अघाय।१६।
जारी........
ताकैं छिपैं ओट खम्भन के नैन मूंदि मुसक्याय।
प्रेम कि प्रीति की रीति अगम यह सुधि बुधि जात हेराय।
श्यामा कहैं अवध वासी धनि दरशन करत अघाय।१६।