३८ ॥ श्री गदाधर जी ॥
दोहा:-
नाम जपै जो प्रेम से, कहै गदाधर सत्य।
रोम रोम ते धुनि उठै, दर्शन होवैं नित्य।१।
तन मन धन अर्पण करै, सुमिरै आठौं याम।
कहैं गदाधर जाय सो, पहुँचि श्याम के धाम।२।
पद:-
राम सीता राम सीता राम सीता पाहिमाम।
कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे रक्षमाम।
बिष्णु लक्षमी बिष्णु लक्षमी बिष्णु लक्षमी पाहिमाम।
श्याम श्यामा श्याम श्यामा श्याम श्यामा रक्षमाम।
राम सीता कृष्ण राधे रमा बिष्णु पाहिमाम।
श्याम श्यामा उमा शंकर गणेश शारद रक्षमाम।६।