४० ॥ श्री सुमन्त जी ॥
दोहा:-
श्री गुरु बचन में प्रीति करि, ख्याल करै जो कोय।
नाम खुलै सन्मुख हरी, अन्त राय नहिं होय।१।
कह सुमन्त मिटि जाय तब, बिधि ने लिखा जो भाल।
मानुष का तन पाइकै, भजैंजे दशरथ लाल।२।
दोहा:-
श्री गुरु बचन में प्रीति करि, ख्याल करै जो कोय।
नाम खुलै सन्मुख हरी, अन्त राय नहिं होय।१।
कह सुमन्त मिटि जाय तब, बिधि ने लिखा जो भाल।
मानुष का तन पाइकै, भजैंजे दशरथ लाल।२।