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७९ ॥ श्री तानसेन जी ॥


पद:-

कहत कहत सब गये हार पायो नहिं कोई पार।१।

सरगुण निर्गुण निराकार।२। जगदाधार सर्वाधार।३।

सब से न्यार सब का सार।४। कहत मियां तानसेन।५।

आयो सो बृज मंझार।६। बाज्यो लीला अवतार।७।

लीला अद्भुत अपार।८।