८० ॥ श्री बैजू बावरे जी ॥
पद:-
चतुर चूणा मणि कृष्ण चन्द। नन्द नन्दन आनन्द कन्द।२।
बिहरत कुञ्जन में मन्द मन्द। निरखत नभ से सुर मुनि के वृन्द।४।
राधे के गले वाँह मुख की छबि शरद चन्द।
कहत बैजू बाबरे सुखमा के भवन श्याम चितवो सब कटै फन्द।६।
पद:-
चतुर चूणा मणि कृष्ण चन्द। नन्द नन्दन आनन्द कन्द।२।
बिहरत कुञ्जन में मन्द मन्द। निरखत नभ से सुर मुनि के वृन्द।४।
राधे के गले वाँह मुख की छबि शरद चन्द।
कहत बैजू बाबरे सुखमा के भवन श्याम चितवो सब कटै फन्द।६।