११९ ॥ श्री कादिर जी ॥
शेर:-
रब नाम कस के साधिये, सूरत में मन को बांधिये।
खुलि जाय अजपा जाप जब, मिटि जाय सारी ताप तब।३।
सब जगह उसका नूर है, वह पास में नहिं दूर है।
जो उसके रंग में चूर है, कादिर कहैं वह शूर है।४।
शेर:-
रब नाम कस के साधिये, सूरत में मन को बांधिये।
खुलि जाय अजपा जाप जब, मिटि जाय सारी ताप तब।३।
सब जगह उसका नूर है, वह पास में नहिं दूर है।
जो उसके रंग में चूर है, कादिर कहैं वह शूर है।४।