१५५ ॥ श्री सादिक अली जी ॥
पद:-
मुरली अधर पै धारे मन मोहन श्याम प्यारे।१।
कानों में कुण्डल डारे शिर पर मुकुट को धारे।२।
भूषण बसन सँवारे सर्वाङ्ग द्युति अपारे।३।
सादिक सबों से न्यारे फिर सब में हैं दुलारे।४।
पद:-
मुरली अधर पै धारे मन मोहन श्याम प्यारे।१।
कानों में कुण्डल डारे शिर पर मुकुट को धारे।२।
भूषण बसन सँवारे सर्वाङ्ग द्युति अपारे।३।
सादिक सबों से न्यारे फिर सब में हैं दुलारे।४।