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१५४ ॥ श्री यारी साहेब जी ॥


पद:-

सिया राम संग लछिमन हर दम दिखा रहे हैं।१।

देखो जिधर उधर ही सन्मुख में छा रहे हैं।२।

आशिक हुआ मैं इन पर सब में समा रहे हैं।३।

यारी धुनी ये तन में अपनै सुना रहे हैं।४।