१६४ ॥ श्री ढोढ़े दास जी ॥
ग़ज़ल:-
बनैं हम ब्रह्म किमि भाई हमें जग दीन बनि रहेना।
मान अपमान नहिं छूटा दुःख तनिकौ नहीं चहेना।१।
श्रवण बहिरे नयन अन्धे जीभ खाली से क्या कहेना॥
कहैं ढोंढ़े सुनो प्यारे श्याम राधे के पद गहेना।२।
ग़ज़ल:-
बनैं हम ब्रह्म किमि भाई हमें जग दीन बनि रहेना।
मान अपमान नहिं छूटा दुःख तनिकौ नहीं चहेना।१।
श्रवण बहिरे नयन अन्धे जीभ खाली से क्या कहेना॥
कहैं ढोंढ़े सुनो प्यारे श्याम राधे के पद गहेना।२।