१९३ ॥ श्री लंकिनी जी ॥
सोरठा:-
नाम लंकिनी मोर छल कीन्ह्यों हनुमान ते।
दीन्ह्यों पकरि मरोरि हर्षि चल्यो चढ़ि यान ते।१।
ऐसे राम के दास उनकी महिमा को कहै।
करैं जो तन को नाश राम धाम में सुख लहै।२।
सोरठा:-
नाम लंकिनी मोर छल कीन्ह्यों हनुमान ते।
दीन्ह्यों पकरि मरोरि हर्षि चल्यो चढ़ि यान ते।१।
ऐसे राम के दास उनकी महिमा को कहै।
करैं जो तन को नाश राम धाम में सुख लहै।२।