१९८ ॥ श्री दुर्योधन जी ॥
सोरठा:-
भीम से हरि मरवाय मोहिं पठयो हरि के धाम
ऐसे कृपा निधान हैं, जिन्हैं कहैं सब श्याम।१।
कहा न मान्यौं श्याम का, तेहि पर यह पद दीन।
दुर्योधन कहैं मुक्त वै, हरि चरनन लव लीन।२।
सोरठा:-
भीम से हरि मरवाय मोहिं पठयो हरि के धाम
ऐसे कृपा निधान हैं, जिन्हैं कहैं सब श्याम।१।
कहा न मान्यौं श्याम का, तेहि पर यह पद दीन।
दुर्योधन कहैं मुक्त वै, हरि चरनन लव लीन।२।