२०९ ॥ श्री कालनेमि जी ॥
सोरठा:-
कालनेमि मम नाम कपट कीन हनुमान सों।
मारि दियो हरि धाम ऐसे भक्त महान सों॥
चौपाई:-
ऐसे भक्त दयालु कहावैं। कपटिन को हरि ढिग पहुँचावैं।
वदी करौ तो नेकी पावो। ऐसे भक्तन बलि बलि जावो।२।
सोरठा:-
कालनेमि मम नाम कपट कीन हनुमान सों।
मारि दियो हरि धाम ऐसे भक्त महान सों॥
चौपाई:-
ऐसे भक्त दयालु कहावैं। कपटिन को हरि ढिग पहुँचावैं।
वदी करौ तो नेकी पावो। ऐसे भक्तन बलि बलि जावो।२।