२४३ ॥ श्री जालन्धर जी ॥
दोहा:-
हर ने मोको मारि कै, भेजि दीन हरि पास।
जे शिव को सुमिरन करैं तिनको भव दुख नाश।१।
कहैं जलन्धर गाय किरपा के शिव रूप हैं।
नाम लिहे दुख जाय परमा नन्द स्वरूप हैं।२।
दोहा:-
हर ने मोको मारि कै, भेजि दीन हरि पास।
जे शिव को सुमिरन करैं तिनको भव दुख नाश।१।
कहैं जलन्धर गाय किरपा के शिव रूप हैं।
नाम लिहे दुख जाय परमा नन्द स्वरूप हैं।२।