२४४ ॥ श्री तारकासुर जी ॥
चौपाई:-
धन्य षड़ानन शिव सुत बीरा। पठ्यो मोहिं मारि हरि तीरा।१।
तारक कहै तारि मोहिं दीना। कौन कर्म मैं उत्तम कीन्हा।२।
चौपाई:-
धन्य षड़ानन शिव सुत बीरा। पठ्यो मोहिं मारि हरि तीरा।१।
तारक कहै तारि मोहिं दीना। कौन कर्म मैं उत्तम कीन्हा।२।