२४६ ॥ श्री महा रावण जी ॥
चौपाई:-
नाम महा रावण जग जाना। समर भूमि कोइ नहि ठहराना।१।
काली मातु मारि मोंहि दीन्हा। हरि पुर जाय के बासा लीन्हा।२।
चौपाई:-
नाम महा रावण जग जाना। समर भूमि कोइ नहि ठहराना।१।
काली मातु मारि मोंहि दीन्हा। हरि पुर जाय के बासा लीन्हा।२।