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२४७ ॥ श्री महिरावण जी ॥


चौपाई:-

महावीर अति ही बलवाना। मारि के मोरि कीन कल्याना॥


सोरठा:-

महिरावण मम नाम कपटी पापी मन्द मति।

पायों हरि को धाम, हरि के दास ने दीन गति॥