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२६२ ॥ श्री भोला मस्तान शाह जी ॥


पद:-

रबी नबी अल्ला खुदा। एक ही न कोई जुदा॥

अजपा जाप जपो सदा। तब तो होगे सच्चे गदा॥

सब में मौला है तो मुँदा। प्रेम ते प्रगट होवे खुदा॥

कौल से तो होहु अदा। तन है आबे बुद बुदा॥

काम क्रोध लोभ मदा। मोह रह्यो सब को पदा।५।

जायगा मिटि कर्म बदा। दोजख का छूटैगा फँदा॥

पाय जाव नाम रँदा। रगरि के छोड़ावो गँदा॥

साफ करिके होहु वँदा। लखौ रूप नूर सदा॥

दाता वही खालिक वही। साहब वही मालिक वही॥

परवरदिगार उसको कहते हैं बशर।

लेता खबर है सबकी रखता न वह कसर॥

है वह गरीब परवर बन जो गरीब जाय।

भोला मस्तान कहते तब सामने दिखाय।११।

पदः- अल्ला अल्ला कहोगे तो पल्ला खुल जाँयेगे।

खुदा खुदा कहोगे तो खुद ही मिलि जाँयेगे।

नबी नबी कहोगे तो नूर देखिलाँयेगे।

रवी रवी कहोगे तो ध्यान लगवाँयेगे।

लाह लाह कहोगे तो शून्य लै जाँयेगे।५।

मौला मौला कहोगे तो संग लगि जाँयेगे।

भोला मस्तान शाह कहैं जिक्र कीजिये।

तन मन व प्रेम संघ कर उस रंग में भीजिये।९।