२७२ ॥ श्री गया दास जी ॥
पद:-
पाप के बाप से बचिये भाई।
काम क्रोध मद मोह क दादा बड़ा दुष्ट दुखदाई।
या के चक्कर में जे परिगे ते कल कबहूँ नहि पाई।
प्रबल शक्ति या की है माया लपटि के लेत गिराई।
नाक छेदि के डोरि लगावै चारौं ओर घुमाई।५।
हर दम शिर मुख जूतिन पीटै डाटै नैन देखाई।
मन ही मन निशि बासर रोवो नैनन आँसु न आई।
राति दिवस के बीच में आय के मृत्यु अचानक खाई।
सब धन धाम पिता माता त्रिय पुत्र सुता औ भाई।
नातेदार मित्र औ पुर जन कोई संघ न जाई।१०।
जिन के खातिर करत ठगौरी स्वार्थ हेतु मूँह बाइ।
तुमको नर्क में जाय ढकेलैं स्वाँस न घूटी जाई।
या से मानो कहा हमारा सतगुरु खोजौ धाई।
राम भजन की विधि को जानो तब हो भली भलाई।
नाही तो पीछे पछितेहौ रोये नहीं सेराई।
गया दास जिन जियत न जान्यौ मरि सो घण्टा पाई।१६।
दोहा:-
जिस घर ते तू यहां पर आयो सुन हे जीव।
ता को पता लगाय ले, जीव से ह्वै जा सीव।१।
नाम रूप को जानि ले, जियतै में जो भाय।
गया दास कहैं छोड़ि तन, सो हरि पास में जाय।२।