२७३ ॥ श्री ध्यान दास जी ॥
पद:-
राम सिया छबि निरखौ नयनन तन मन प्रेम से नर औ नारी।१।
कनक भवन में राजत प्यारे बाम भाग में सोहैं प्यारी।२।
अनुपम झाँकी बरणि सकै को सुर मुनि फणपति शारद हारी।३।
ध्यान दास निशि बासर निरखै जोड़ी जुगुल पै तन मन वारी।४।
पद:-
राम सिया छबि निरखौ नयनन तन मन प्रेम से नर औ नारी।१।
कनक भवन में राजत प्यारे बाम भाग में सोहैं प्यारी।२।
अनुपम झाँकी बरणि सकै को सुर मुनि फणपति शारद हारी।३।
ध्यान दास निशि बासर निरखै जोड़ी जुगुल पै तन मन वारी।४।