२७६ ॥ श्री वाजिद अली शाह जी ॥
शेर:-
था राम कृष्ण शँकर हनुमत से प्रेम मेरा।
यह ख्याल मुझको हर दम तन में किये है डेरा।१।
दुनियावी ऐश करके सब दिन किया निवेरा।
वाजिद अली यह कहते अब भिश्त में बसेरा।२।
शेर:-
था राम कृष्ण शँकर हनुमत से प्रेम मेरा।
यह ख्याल मुझको हर दम तन में किये है डेरा।१।
दुनियावी ऐश करके सब दिन किया निवेरा।
वाजिद अली यह कहते अब भिश्त में बसेरा।२।