२७५ ॥ श्री माता ईछरा जी ॥
पद:-
ठुमरी:- चँचल चपल चटकीली राधे अलबेली।
भूषण बसन मनोहर सोहैं सुर मुनि नभ ते लखि कै मोहैं
ऐसी छरी छबीली राधे अलबेली।
दामिन सम दमकत सखियन में कज्जल शोभा दे अँखियन में
रँग सुभग अति पीली राधे अलबेली।
सखा सखिन के सँग में नाचत छम छम छम पग नूपुर बाजत
छेड़त तान रसीली राधे अलबेली।
दौरि श्याम को लिपटैं प्यारी छाय जाय चहुँ दिशि उजियारी
तन मन प्रेम में गीली राधे अलबेली।
नैन की सैन करै सब ओरी पकरैं सब चट हरि को दौरी
आप हँसत हरि ढीली राधे अलबेली।६।