२७९ ॥ श्री नगण जी ॥ चौपाई:- नगण कहैं हरि को सो पावै। जो हरि नाम से नेह लगावै।१। तन मन से सो रहै अनन्दा। निरखै रूप सच्चिदानन्दा।२।