२८५ ॥ श्री तगण जी ॥ चौपाई:- तगण कहै तन मन चित लावो। सुमिरौ नाम परम निधि पावो।१। नामै से सब सुख हो भाई। नामै सुर मुनि बड़ा बताई।२।