२९२ ॥ श्री राम औतार जी ॥
पद:-
मग लूटै मेरो क्षीर यशुदा ये तेरो कन्हैया।१।
दूरहि ते लखि घात लगावै ग्वाल बाल सब लै कर धावै
आय पकरि ले चीर यशुदा ये तेरो कन्हैया।२।
आप खाय औ ग्वालन देवै बोलैं हम तो घुड़की देवै
मेटुकी में भरि दे नीर यशुदा ये तेरो कन्हैया।३।
घर के लोग हमै रिसिआवै बृज को छोड़ि कहाँ हम जावैं
चलत न कछु तदबीर यशुदा ये तेरो कन्हैया।४।