३१० ॥ श्री बिमला बाई जी ॥
पद:-
सदा भक्तों कि ज़िन्दगानी रहे कायम रहे कायम।
जे हरि चरनों में रति ठानी रहे कायम रहे कायम।
किया तन मन धन कुर्वानी रहे कायम रहे कायम।
जियत में पायो सुखदानी रहे कायम रहे कायम।
शान्त मन कीन पहिचानी रहे कायम रहे कायम।५।
धुनी सुनते हैं निर्वानी रहे कायम रहे कायम।
दीनता प्रेम के खानी रहे कायम रहे कायम।
त्यागि जिन दीन सब कानी रहे कायम रहे कायम।
राव औ रंक सम जानी रहे कायम रहे कायम।
कर्म शुभ अशुभ भे फानी रहे कायम रहे कायम।१०।
लीन जिन धाम पहिचानी रहे कायम रहे कायम।
मुक्ति औ भक्ति के दानी रहे कायम रहे कायम।
उतारैं पार बहु प्रानी रहे कायम रहे कायम।
बतावैं युक्ति आसानी रहे कायम रहे कायम।
सार ही सार दे छानी रहे कायम रहे कायम।
मिलै आनन्द मन मानी रहे कायम रहे कायम।१६।