३३६ ॥ श्री मुरारी दास जी ॥
(अवध वासी)
दोहा:-
राम नाम सुमिरन करै, पाठ करै मन लाय।
सेवा ठाकुर की करै, सो हरि धाम को जाय।१।
सोरठा:-
कहते दास मुरारि, राम गरीब नेवाज़ हैं।
बिगरी देत सुधारि, भक्तन के शिरताज हैं।१।
(अवध वासी)
दोहा:-
राम नाम सुमिरन करै, पाठ करै मन लाय।
सेवा ठाकुर की करै, सो हरि धाम को जाय।१।
सोरठा:-
कहते दास मुरारि, राम गरीब नेवाज़ हैं।
बिगरी देत सुधारि, भक्तन के शिरताज हैं।१।