३५१ ॥ श्री भगवान दास सखी जी ॥
(अयोध्या जी)
चौपाई:-
राम सिया सुमिरै सुख लहई। सदा दीनता उर में रहई।१।
प्रेम भाव संतन संग राखै। मीठे बचन सबन से भाखै।२।
दोहा:-
भगवान दास कहैं अन्त में, जावै हरि के धाम।
ऐसे करूणा सिन्धु हैं, बार बार परणाम।१।
(अयोध्या जी)
चौपाई:-
राम सिया सुमिरै सुख लहई। सदा दीनता उर में रहई।१।
प्रेम भाव संतन संग राखै। मीठे बचन सबन से भाखै।२।
दोहा:-
भगवान दास कहैं अन्त में, जावै हरि के धाम।
ऐसे करूणा सिन्धु हैं, बार बार परणाम।१।