४०० ॥ श्री राजगुरु जी ॥
दोहा:-
राजगुरु कहैं जगत में नर तन धारी जौन।
पर स्वार्थ हित तन तजै जावै हरि के भौन।१।
राम कृपा ते समय पर कारज सब बनि जाय।
तन मन ते लागा रहै बैठै मत अलसाय।२।
दोहा:-
राजगुरु कहैं जगत में नर तन धारी जौन।
पर स्वार्थ हित तन तजै जावै हरि के भौन।१।
राम कृपा ते समय पर कारज सब बनि जाय।
तन मन ते लागा रहै बैठै मत अलसाय।२।