४०१ ॥ श्री सुखदेव जी ॥
(पंजाब)
दोहा:-
परस्वार्थ करता रहै निर्भय ह्वै के भाय।
फल वा को हरि देंयगे जाय समय जब आय।१।
अन्त समय हरिपुर चलै बैठि बिमान में धाय।
यश लोकौ परलोक में कह सुखदेव सुनाय।२।
(पंजाब)
दोहा:-
परस्वार्थ करता रहै निर्भय ह्वै के भाय।
फल वा को हरि देंयगे जाय समय जब आय।१।
अन्त समय हरिपुर चलै बैठि बिमान में धाय।
यश लोकौ परलोक में कह सुखदेव सुनाय।२।