४१५ ॥ श्री खैरू शाह जी ॥
शेर:-
ज़िकिर हरि का हर दम जे करते हैं भाई।
उन्हीं की यहां औ वहाँ पर भलाई।१।
धुनी नाम की सुनते तन मन को लाई।
रहैं सन्मुख उनके सुघर झाँकी छाई।२।
अजब खेल हरि ने ये देखो बनाई।
सबी से निराले सबी में समाई।३।
बिना हरि के सुमिरे न होगी रिहाई।
कहैं खैरू मानै सोई पास जाई।४।