४२४ ॥ श्री एकनाथ जी ॥ चौपाई:- राम नाम मुद मंगल मूला। सुर मुनि जपैं सबन अनुकूला।१। एकनाथ कहैं नर औ नारी। जपहु नाम तन मन को वारी।२।