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४७४ ॥ श्री दीन दरवेश जी ॥


दोहा:-

क्या हिन्दु क्या मुसलमां, भजन करे जो कोय।

हरि सब पर दाया करें, हर दम दरशन होय।१।

एक तार जब धुनि खुले, रोम रोम झनकार।

कहे दीन दरवेश तब होवे, भव से पार।२।