४७७ ॥ श्री खलील जी ॥
शेर:-
यादगारी जिसने की हर दम संवलिया यार की।
देखता सूरत है सन्मुख में सदा दिलदार की।१।
हर शै से नाम की धुनि उठै लीला अगम करतार की।
कहता खलील करो भजन जो गर्भ में इकरार की।२।
शेर:-
यादगारी जिसने की हर दम संवलिया यार की।
देखता सूरत है सन्मुख में सदा दिलदार की।१।
हर शै से नाम की धुनि उठै लीला अगम करतार की।
कहता खलील करो भजन जो गर्भ में इकरार की।२।