१३ ॥ श्री हम्मन शाह जी ॥
पद:-
मेरे तन मन में नाम रंग छाय रह्यो जी।
राधेश्याम सामने हरदम मुरली अधर स्वहाय रह्यो जी।
ध्यान धुनी परकाश दशालय अनहद नाद सुनाय रह्यो जी।
सुर मुनि आयके दर्शन देते जियतै यह फल पाय रह्यो जी।
बलिहारी मुरशिद की भाई तुम से सच बतलाय रह्यो जी।
हम्मन कहै नाम नहिं जान्यो सो जग में चकराय रह्यो जी।६।