२० ॥ श्री उजागर सिंह जी ॥
पद:-
सतगुरु करि भजो काहे पछितात बाटे।
दिन दिन आयू छीजै वृथा तन जात बाटे।
ध्यान धुनि नूर पाय लै में समात बाटे।
तौन फिरि जक्त माहिं नहिं चकरात बाटे।
सिया राम देखै सन्मुख मन में सिहात बाटे।
प्रेम एकतार रहै नहीं बिलगात बाटे।६।