५१ ॥ श्री फाके मस्त शाह जी ॥
शेर:-
ऐसा पहलू न कोई आज तलक मुझको मिला।
जान मुरशिद से लिया तौन फिर तन मन से खिला।१।
करिके परतीति सखुन मान के नेकौ न हिला।
आने जाने क छुटि ही तो गया उसका गिला।२।
ध्यान धुनि नूर पाय लय में जाय करके पिला।
रूप सन्मुख में हुआ तन मन प्रेम एक सिला।३।