६५ ॥ श्री वाचसपति जी ॥
पद:-
कृष्ण संग खेलत बहुत साथी।१।
सखा सखी सुर मुनि औ खग मृग भांति भांति हाथी।२।
दिव्य अवाँरी राजैं ऊपर मानो तन पाथी।३।
छवि लखि तन मन की सुधि भूली प्रेम लिपटि साथी।४।
पद:-
कृष्ण संग खेलत बहुत साथी।१।
सखा सखी सुर मुनि औ खग मृग भांति भांति हाथी।२।
दिव्य अवाँरी राजैं ऊपर मानो तन पाथी।३।
छवि लखि तन मन की सुधि भूली प्रेम लिपटि साथी।४।