६६ ॥ श्री रंगीले शाह जी ॥
शेर:-
विचार पक्का हम उसको मानैं रियाज करके जियति में देखो।१।
बगैर मुरशिद न भेद पावो पढ़ो सुनो क्या यहीं क लेखो।२॥
शेर:-
विचार पक्का हम उसको मानैं रियाज करके जियति में देखो।१।
बगैर मुरशिद न भेद पावो पढ़ो सुनो क्या यहीं क लेखो।२॥