६८ ॥ श्री गुलाम अली जी ॥
शेर:-
दीनता औ प्रेम बिन यह तन वसर बेकार हो।
अभिमान नाहक में करो यह एक दिन जरि छार हो।१।
हिम्मत को जो हारै नहीं भव जाल से सो पार हो।
मुरशिद वचन टारै नहीं जियतै उसे सुख सार हो।२।
शेर:-
दीनता औ प्रेम बिन यह तन वसर बेकार हो।
अभिमान नाहक में करो यह एक दिन जरि छार हो।१।
हिम्मत को जो हारै नहीं भव जाल से सो पार हो।
मुरशिद वचन टारै नहीं जियतै उसे सुख सार हो।२।