६९ ॥ श्री दिलावर खाँ जी ॥
पद:-
बांधिये मर्द बाना जब। तानिये नाम ताना तब।
मिलै धुनि नूर ध्याना जब। होय लै में समाना तब।
रूप सन्मुख दिखाना जब। मिटा अपना बिराना तब।
जियति बनि जाव दाना जब। मिलै सच्चा ठिकाना तब।
खलक से हो रवाना जब। फलक पर होय गाना तब।५।
प्रेम तन मन में साना जब। मिलै मुरशिद मन माना तब।
कान औ चश्म पाना जब। देव मुनि संघ बतलाना तब।
होय समता में आना जब। समुझि कै मुसिकिराना तब।
शब्द गहि जिसने छाना जब। मिला रस अति महाना तब।
दिलावर कह बताना तब। आप मस्ती में आना जब।१०।