७५ ॥ श्री मुण्ड जी ॥
चौपाई:-
माता पारवती मोहिं मारा। चढ़ि विमान बैकुण्ठ सिधारा।१।
क्या बरनों मैं वहं की शोभा। कहैं मुण्ड देखत मन लोभा।२।
चौपाई:-
माता पारवती मोहिं मारा। चढ़ि विमान बैकुण्ठ सिधारा।१।
क्या बरनों मैं वहं की शोभा। कहैं मुण्ड देखत मन लोभा।२।