८७ ॥ श्री बसन्ती माई जी ॥
जारी........
घट ही में सब तुम्हारे कारोबार बसंती।
बनि दीन शांति उर में लो धार बसंती।
फिर क्या बहार जावो दरबार बसंती।
रंगि जाय जो इस रंग में हुसियार बसंती।
उपदेश दे के जीवों को दे तार बसंती।५६।
जारी........
घट ही में सब तुम्हारे कारोबार बसंती।
बनि दीन शांति उर में लो धार बसंती।
फिर क्या बहार जावो दरबार बसंती।
रंगि जाय जो इस रंग में हुसियार बसंती।
उपदेश दे के जीवों को दे तार बसंती।५६।