९० ॥ श्री ज्ञाना अली जी ॥
दोहा:-
कमसिल औ गुन को गहै, असिल सील गहि लेय।
कमसिल तो दुख देत है, असिल सदा सुख देय।१।
कमसिल नर्क को जात है, असिल जाय हरि धाम।
जियतै में अनुभव किया दोनों को परिणाम।२।
ज्ञान अली के वचन को मानो सब नर वाम।
राम सिया को लेहु भजि, यही अन्त दे काम।३।