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१०७ ॥ श्री लाला लाल चन्द लाल जी ॥


पद:-

छबीलो छैल छल बलिया मनोहर श्याम नन्द लाला।

करौ मुरशिद लखौ सन्मुख कटै जियतै में भव जाला।

नाम धुनि ध्यान लै रोशन मिलै हो विहंग कि चाला।

चक्र षट जाँय वेधन ह्वै खिलैं सातौं कमल आला।

नागिनी जागि सीधी ह्वै चलै करि देय मतवाला।५।

लोक सब जाय दिखलावै मरै मन चाहे तब लाला।

कर्म शुभ अशुभ जरि जावैं डरैं जम मृत्यु औ काला।

त्यागि तन चढ़ि सिंहासन पर चलो निज धाम सुख साला।८।