१०८ ॥ श्री लाला छवीले राम जी ॥
पद:-
चटक क्या मटकि झुकि झूमै मुरलिया कर में लहरावै।
करै मुरशिद लखै हर दम सामने श्याम मुसक्यावै।
खेल नाना करै संघ में बरनने में जो नहिं आवै।
खान औ पान संघ में हो एक रस जौन पगि जावैं।
नाम धुनि ध्यान लै रोशन कमल औ चक्र लखि पावै।५।
नागिनी जागि सीधी हो देव मुनि संघ बतलावैं।
जियति जो लेय करतल करि लौटि सो गर्भ नहिं आवै।
नहीं तो है बड़ा दुस्तर पड़ा जग जाल चकरावै।८।