१११ ॥ श्री झल्लर शाह जी ॥
पद:-
जवानी जान की दुशमन भरा जादू निगाहों में।१।
नारि नर पाप करि दोजख चल पड़ैं नाले अथाहों में।२।
बचै मुरशिद क कोइ चेला वही समझे सिपाहों में।३।
छोड़ि तन जब चलै हरि पुर मिलै संघी सलाहों में।४।
पद:-
जवानी जान की दुशमन भरा जादू निगाहों में।१।
नारि नर पाप करि दोजख चल पड़ैं नाले अथाहों में।२।
बचै मुरशिद क कोइ चेला वही समझे सिपाहों में।३।
छोड़ि तन जब चलै हरि पुर मिलै संघी सलाहों में।४।