१३४ ॥ श्री लाला संत बक्स जी ॥
पद:-
जिसने जपा तन मन लगा कर नाम सीता राम का।१।
मुरशिद क सच्चा शिष्य वह फल पा गया नर चाम का।२।
धुनि ध्यान लय परकाश सन्मुख रूप शोभा धाम का।३।
तन छोड़ि प्रभु के पुर गया फिर रहा जग से काम क्या।४।
पद:-
जिसने जपा तन मन लगा कर नाम सीता राम का।१।
मुरशिद क सच्चा शिष्य वह फल पा गया नर चाम का।२।
धुनि ध्यान लय परकाश सन्मुख रूप शोभा धाम का।३।
तन छोड़ि प्रभु के पुर गया फिर रहा जग से काम क्या।४।